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मंगलवार, 1 अक्तूबर 2019

Imran Ahmad Khan Niyaji Pak Primeminister, UNGA मे भारतीय प्रतिनीधि द्वारा पुरानाम लेने के कारणों का विश्लेषण

जैसा आप सभी लोग जानते है UNGA के राइट ऑफ रिप्लाई में जब पाक PM को Mr. इमरान अहमद खां "नियाजी"कहकर भारत की महिला आईएफएस अधिकारी विदिशा मैत्री ने संबोधित करते हुए इमरान की स्पीच का जवाब देना शुरू किया तो इससे न सिर्फ इमरान बल्कि पूरा पाकिस्तान उबल पडा और जलभुन गया।

आइये जाने नियाजी सरनेम का रहस्य कि क्यों इमरान खान अपने नाम के आगे नियाजी शब्द लगाना पसन्द नहीं करते हैं और इसे छिपाते हैं
वैसे तो पाकिस्तान में नियाजी शब्द एक गाली जैसा है और पाकिस्तान का विपक्ष जब इमरान खान का विरोध कर रहा होता है तो Go नियाजी Go कहकर उन्हें चिढ़ाता है।
असल मे नियाजी सरनेम के तार पाकिस्तान को भारत के हाथों 1971 में मिली तगड़ी हार से जुडे है जिससे पाकिस्तान के घाव हरे हो जाते हैं।

पाकिस्तान के लिए ये शिकस्त बेहद दुखदायी थी क्योंकि 1971 के वार के समय तक पाकीस्तान में जनरल अमीर अबदुल्ला खां नियाजी की छवि एक दहाड़ते शेर  हिरो जैसी थी पाकिस्तानी सोचते थे कि ये आदमी लड़ते लड़ते शहीद जायेगा पर शिकस्त नहीं मानेगा। पर ऐसा कुछ न हुआ उल्टे 1971 की जंग में 90 हज़ार पाकिस्तानी सेना के साथ भारतीय जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण करना पडा और जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने उनका रिवाल्वर रखवाकर नियाजी का सैनिक बैच नोच लिया था। जनरल अरोड़ा खुद कुर्सी पर वैठे रहे और जनरल अमीर अब्दुल्ला खां नियाजी को पांच घण्टा खड़ा ही रखा गया था। इस आत्मसमर्पण के बाद पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए जिसमे एक हिस्सा वर्तमान में आज बांग्लादेश है।

आत्मसमर्पण की शर्मिंदगी लिए कुछ पाकिस्तानी सैनिकों ने तो घर लौटकर आत्महत्या तक कर ली। इस करारी हार की जांच के लिए जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाजी पर हमीदउर्रहमान आयोग का गठन किया गया था।
तो 1971 वार के हार के जिम्मेदार उन जनरल अमीर अब्दुल्ला खां नियाजी के परिवार या समुदाय से मानते है पाकी लोग वर्तमान पाकी पीएम इमरान खान को। एक लंबे समय तक इमरान के पिता भी नियाजी सरनेम के कारण इसी हार पर कटाक्ष पाकिस्तान की जनता से सुनते रहे है।
हालांकि  जब इमरान क्रिकेट में आये तो क्रिकेट के बादशाह बनकर क्रिकेट पर छा गये। इमरान अपनी कप्तानी में क्रिकेट का वर्ल्डकप भी पाकिस्तान को दिलाया। तो पाकी लोग अमीर अहमद खां नियाजी की शिकस्त और उन पर लगे कलंक को भूल गये। और अंतत: इमरान खान नियाजी पाकिस्तानी आवाम के लिए खुदा बन गये।

अब जब इमरान एक परेशानहाल खास्ताहाल पाकिस्तानी पीएम हैं।राजनीति में असफल व्यक्ति के तौर पर पहचाने जाने लगे हैं तो पाकिस्तानियों के मन में ये आशंका बलवती होती जा रही है कि नियाजी सरनेम ही बेहद मनहूस है। एक नियाजी की वजह से सन 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए तो दूसरे इमरान नियाजी के पीएम बनते ही भारत अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान का खेल खत्म हुआ और अब अगला नम्बर पाक अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान का है।
स्रोत अग्यात

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