पत्थर दवा दारू
ये कभी ख़त्म नहीं होने वाला
किसीने मुझस पूछा तो तो मैंने एहि बताया फिर उसने पूछा ऐसे कैसे तो मुझे कायदे से समझाना पड़ा
देख भाई अब तक ज्ञात मानव सभ्यत का आरम्भ ही पाषाण युग से होता है और उसी समय आखेट के लिए पत्थरो का हथियार बनाते थे पत्थर फेकने की कला तब से है
कृषि का आविष्कार हुआ नहीं था सो लोग जानवरो को मार कर खाते थे और कही घायल हुए तो वनस्पतियो से औषधि निर्मित कर लेते थे और दारू भी पाषाण काल का ही निर्मित पेय है अनेकों सभ्यता सथलो की खुदाई से यह प्रमाणित है
मानव जीवन केवल इन्ही तीन वस्तुओ पर आरम्भ से ही निर्भर है पत्थर बाजी में मुख्य कला ये है की जिसे कहते है फेंकना
जब भी कोई बालक जन्म लेता तो उसकी पहली शारीरिक क्रिया फेंकना ही होती है जैसे हाथ पावं फेकना फिर हाथ में आये हुई कोई वस्तु को फेंकना थोड़ा और बड़ा होने पे ठोस वस्तु फेकना यह फेकने की क्रिया जीवन भर चलती रहती है कुछ आयु के बाद फेकने की क्रिया मौखिक हो जाती है जिसमे यह मौखिक गुण में परवर्तन आता है उसे नेता वकील टीचर कहते है और कोई अपनी शारीरिक स्टेमिना बनाये रखता है तो भारत में उमेश या भुवनेश्वर जैसा क्रिकेट खिलाडी होता है और अमेरिका में बेसबाल खिलाडी बन जाता है
कहने का कुल लब्बोलुबाब यह हैकि अमीर गरीब राजा रैंक किसी भी घर पैदा हुआ व्यक्ति अपने जीवन में कुछ नहीं तो कमसे काम एक बार तो जरूर पत्थर फेंका होगा क्यों की पत्थर फेंकना मानव का नैसर्गिक गुण है कोई भी इससे इंकार नहीं कर सकता
मैंने बचपन के तीन चार साल तक अपने मित्रो के झुण्ड के साथ पत्थर फेकने के खेल को खेला किया करता था तालाब के पानी में पत्थर मार के तितली बनाने की सबमे होड़ सी रहती थी झूठ क्या बोलना एक तालाब तो तितली बनाते बनाते पत्थरो से पट ही गया
मुझे याद है मेरे एक मित्र जिनके पिता फौजी थे और कड़क अनुशासन वाले मित्र को पढ़ना था और टर्गेट एनडीए की परीक्षा पास कर सेना में जाना खैर वो तो नहीं हुआ लेकिन पुलिस सेवा में उनका बड़े ऑफिसर पद पे चयन हो गया और जब मित्रके पिता को पता चला तो पिताजी ने जाके दो थापड़ रसीद कर दिया, और मित्र महोदय गमगीन हो के बाबा चाय भंडार के कुल्ल्हडों को फेंकते देखे गए थे
कहने का अर्थ यह है की हंसी ख़ुशी गम उत्साह बचाव में पत्थर मनुष्य फेंकेगा ही यह आदि काल से चला आरहा आदिमानवीय गुण है हो सकता है यह ख़राब लगे किन्तु ओलम्पिक के सरे खेल आदिमानवीय काल के मानव जीवन की जिजीविषा इतिहास को जीवित रखने के लिए ही आयोजित होते है इसमें सारे खेल आदिमानवीय काल के है और पूछेंगे की पत्थर बजी कहाँ है इसमें तो आप ने ध्यान दिया होगा की गोला फेंक खेल ओलम्पिक में शामिल है .
स्याही फेंकना जूते चप्पल फेंकना यह सब पत्थरबाजी के परिवर्त रूप है और कभी ये इतने फायदेमंद होते है की केजरीवाल तो बहुत कम, इराक में अमेरिकी राष्ट्रपति पे जूतेबाजी होने पे वो दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति चुन लिए जाते है
दुनिय में केवल एक ही देश है है जहाँ के लोग कभी पत्थर नहीं फेंकते और वो इजराइल यदि इजराइलियों पे कभी कोई पत्थर फेंकता है तो वे उनपे बम फ़ेंकतेहै
पत्थरो की महिमा दुनिया भर के बुद्धिजियों को प्रभावित किया है जैसे शादी के महान साइंसदान आइंस्टाइन ने कहा की तीसरे विश्व युद्ध का तो नहीं कह सकता लेकिन चौथा वार्ड वॉर पत्थरों से ही लड़ा जायेगा, भारत में कबीर आदि ने पत्थरो की महिमा का बखान किया है, फिल्मकारों ने पत्थर के सनम, स्टोन ऐज व् गीत गाया पत्थरो ने जैसे कालजयी फिल्मे बनाके इस मानवीय गुण को सहेजे रखने में बड़ा योगदान दिया है
यह पत्थरबाजी तभी ख़त्म होगी जब इस धरती से मानव सभ्यता ख़त्म होगी या फिर इजराइलियों का पूरी दुनिया पे कब्ज़ा व् शासन होगा, वरन आज कल तो अमेरिका व् ब्रिटेन जैसे अति विकसित देशो में भी पत्थरबाजी होती है
ये कभी ख़त्म नहीं होने वाला
किसीने मुझस पूछा तो तो मैंने एहि बताया फिर उसने पूछा ऐसे कैसे तो मुझे कायदे से समझाना पड़ा
देख भाई अब तक ज्ञात मानव सभ्यत का आरम्भ ही पाषाण युग से होता है और उसी समय आखेट के लिए पत्थरो का हथियार बनाते थे पत्थर फेकने की कला तब से है
कृषि का आविष्कार हुआ नहीं था सो लोग जानवरो को मार कर खाते थे और कही घायल हुए तो वनस्पतियो से औषधि निर्मित कर लेते थे और दारू भी पाषाण काल का ही निर्मित पेय है अनेकों सभ्यता सथलो की खुदाई से यह प्रमाणित है
मानव जीवन केवल इन्ही तीन वस्तुओ पर आरम्भ से ही निर्भर है पत्थर बाजी में मुख्य कला ये है की जिसे कहते है फेंकना
जब भी कोई बालक जन्म लेता तो उसकी पहली शारीरिक क्रिया फेंकना ही होती है जैसे हाथ पावं फेकना फिर हाथ में आये हुई कोई वस्तु को फेंकना थोड़ा और बड़ा होने पे ठोस वस्तु फेकना यह फेकने की क्रिया जीवन भर चलती रहती है कुछ आयु के बाद फेकने की क्रिया मौखिक हो जाती है जिसमे यह मौखिक गुण में परवर्तन आता है उसे नेता वकील टीचर कहते है और कोई अपनी शारीरिक स्टेमिना बनाये रखता है तो भारत में उमेश या भुवनेश्वर जैसा क्रिकेट खिलाडी होता है और अमेरिका में बेसबाल खिलाडी बन जाता है
कहने का कुल लब्बोलुबाब यह हैकि अमीर गरीब राजा रैंक किसी भी घर पैदा हुआ व्यक्ति अपने जीवन में कुछ नहीं तो कमसे काम एक बार तो जरूर पत्थर फेंका होगा क्यों की पत्थर फेंकना मानव का नैसर्गिक गुण है कोई भी इससे इंकार नहीं कर सकता
मैंने बचपन के तीन चार साल तक अपने मित्रो के झुण्ड के साथ पत्थर फेकने के खेल को खेला किया करता था तालाब के पानी में पत्थर मार के तितली बनाने की सबमे होड़ सी रहती थी झूठ क्या बोलना एक तालाब तो तितली बनाते बनाते पत्थरो से पट ही गया
मुझे याद है मेरे एक मित्र जिनके पिता फौजी थे और कड़क अनुशासन वाले मित्र को पढ़ना था और टर्गेट एनडीए की परीक्षा पास कर सेना में जाना खैर वो तो नहीं हुआ लेकिन पुलिस सेवा में उनका बड़े ऑफिसर पद पे चयन हो गया और जब मित्रके पिता को पता चला तो पिताजी ने जाके दो थापड़ रसीद कर दिया, और मित्र महोदय गमगीन हो के बाबा चाय भंडार के कुल्ल्हडों को फेंकते देखे गए थे
कहने का अर्थ यह है की हंसी ख़ुशी गम उत्साह बचाव में पत्थर मनुष्य फेंकेगा ही यह आदि काल से चला आरहा आदिमानवीय गुण है हो सकता है यह ख़राब लगे किन्तु ओलम्पिक के सरे खेल आदिमानवीय काल के मानव जीवन की जिजीविषा इतिहास को जीवित रखने के लिए ही आयोजित होते है इसमें सारे खेल आदिमानवीय काल के है और पूछेंगे की पत्थर बजी कहाँ है इसमें तो आप ने ध्यान दिया होगा की गोला फेंक खेल ओलम्पिक में शामिल है .
स्याही फेंकना जूते चप्पल फेंकना यह सब पत्थरबाजी के परिवर्त रूप है और कभी ये इतने फायदेमंद होते है की केजरीवाल तो बहुत कम, इराक में अमेरिकी राष्ट्रपति पे जूतेबाजी होने पे वो दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति चुन लिए जाते है
दुनिय में केवल एक ही देश है है जहाँ के लोग कभी पत्थर नहीं फेंकते और वो इजराइल यदि इजराइलियों पे कभी कोई पत्थर फेंकता है तो वे उनपे बम फ़ेंकतेहै
पत्थरो की महिमा दुनिया भर के बुद्धिजियों को प्रभावित किया है जैसे शादी के महान साइंसदान आइंस्टाइन ने कहा की तीसरे विश्व युद्ध का तो नहीं कह सकता लेकिन चौथा वार्ड वॉर पत्थरों से ही लड़ा जायेगा, भारत में कबीर आदि ने पत्थरो की महिमा का बखान किया है, फिल्मकारों ने पत्थर के सनम, स्टोन ऐज व् गीत गाया पत्थरो ने जैसे कालजयी फिल्मे बनाके इस मानवीय गुण को सहेजे रखने में बड़ा योगदान दिया है
यह पत्थरबाजी तभी ख़त्म होगी जब इस धरती से मानव सभ्यता ख़त्म होगी या फिर इजराइलियों का पूरी दुनिया पे कब्ज़ा व् शासन होगा, वरन आज कल तो अमेरिका व् ब्रिटेन जैसे अति विकसित देशो में भी पत्थरबाजी होती है