ब्लॉग आर्काइव

सोमवार, 11 अप्रैल 2016

जो बोलने मे नाकाम रहता है अगले दिन टुटे हुए हाथ पांव के साथ टीवी बयान देता है।

समस्या, काण्ड और बवाल
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दिल्ली से चोली दामन का साथ जैसे है।
समस्या ये कि पहले हर साल कोई न कोई नया बवेला खड़ा रहता था।
जैसे एक बार दिल्ली मे काले बंदर ने तहलका मचाया हुआ था लोगों की रातों की नींद हराम हो गयी थी और वो रात में काण्ड करता रहता था सो लोगों का दिन भर का चैन गायब रहता था
वैसे किसी की मौत नही होती थी बस काण्ड होगया का शोर रहता था बवाल मचा रहता हर अगले दिन अखबार टीवी पर बस इसको नोचा उसको काटा पीटा बगल से गुजरा वगैरह।
लोग बाग अपने पैदा किये को ही कभी शक की नजरों से देखते या लवर्स लोग एकदुसरे के बारे में सोचते की हो न हो अंधेरा होते ही ये बवाली बंदर बन ही जाएंगा सबकी एक दुशरे से फटी पड़ी रहती थी।
और कहीं रात में बिजली गुल होगयी तो समझीये कयामत का ही समय होता लोग मान बैठते बस अब प्रलय का दिन है अगले जनम मे सब मिलेंगे।
हाँलाकी किसी ने कभी कुछ देखा नहीं था फिर भी खौफ कायम रहा फिर एकाएक सब गायब चींदी तक का सबूत न मिला।
उसके बाद एक मुंह नोचवा का कहर बरपा, यह विशेष किस्म का गैजेट जो खुली छतों पर सोये लोगों के मुंह को नोच लेता था और उसका शिकार वे ही लोग होते जिन्हें छतों पर खुले में सोने की आदत थी
जानने वालोे के बयान है वे बताते है कि लाल पीली बत्ती जलते हुए सा आता और खुले मे चैन से घोड़े बेच की नींद सोये लोगों का मुँह नोच लेता था
परिणाम ये हुआ कि लोगों के चेहरे की इज्जत हैसियत खूबसूरती को बचाने के चक्कर में सोने के लाले पड गये,
सबसे बड़ा दुख तो उन्हें हुआ जिन्हें चाँदनी रातो के नजारे खाते लेते सोने की आदत रही वे लोग खौफन घरों मे दुबक कर सोने को मजबूर हो गये।
लोग छतों पर कपड़े सुखाना छोड़ दिए और भूल से कोई कपड़े छत पर डाल आया और शाम के पहले न ला पाया तो रात भर अंत: वस्त्र में रहता था।
छतों पर की इश्कबाजी की कला ही लुप्त होने के कगार पर हो गयी थी।
वैसे सस्पेक्ट इलेक्ट्रॉनिक आइटम कथित मुँह नोचवा का पता नहीं लगा की कहां से आया कहां गया, पर खौफ कायम रहा।
एक और शाहेंशाह टाइप का निकला ब्लेड मैन और वो बस लोगों को ब्लेड मार घायल कर काण्ड करता था उसका आतंक महिलाओं में कुछ ज्यादा था क्योंकि उन्हें बहुत मोहब्बत से निशाने पर लेता था वैसे उसका भी पता नही लगा कब आया आतंक मचाया खौफ जमाया गायब ही हो गया।
वैसे आजकल दिल्ली मे इस तरह के काण्ड नही सुनने को मिलते है और वो तब से जब से सरजी द गरेट का अवतरण हुआ है तकरीबन तीन चार साल से।
उनके कहर से, उनके कांड के आगे सब कम है।
ये सब क्या था क्यों हुआ कोई प्रयोग था या मीडियायी टीआरपी का खेल था या देश की छवि खराब करने का षड्यंत्र या देश की मूल समस्याओं से ध्यान हटाने का कुचक्र
कोई विश्लेषण कभी किसी ने न किया न ही सरकार के ओर से कोई वक्तव्य दिया गया।
वैसे सुना है दिल्ली में आज कल फिर शाहहिंसा टैप के कई लोग झुंड मे निकलते हैं और लोगों से जबरन
भारत माता की जय
बुलवाते या कहलवाते है
और जो बोलने मे नाकाम रहता है अगले दिन टुटे हुए हाथ पांव के साथ टीवी के सामने बयान देता नजर आता है।
वैसे एक बात और है नेताजी की कुछेक गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक कर दिया है।