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सोमवार, 9 मई 2016

IMMORTAL EIGHTS अष्टचिरंजीवी

अष्टचिरंजीवी
हिंदू धर्म शाश्त्रो में कुल आठ महापुरुषों का वर्णन है जिन्हें आज भी अमर माना जाता है। इन्हें अष्टचिरंजीवी भी कहा जाता है और इन सभी में से एक भगवान विष्णु के आवेशावतार परशुराम भी हैं-

अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषण।
कृप: परशुरामश्च सप्तैते चिरजीविन।।
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।

इस श्लोक के अनुसार अश्वत्थामा, राजा बलि, महर्षि वेदव्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, भगवान परशुराम तथा ऋषि मार्कण्डेय अमर हैं। 
ऋषि मार्कण्डेय व् राजा बलि को छोड़ सभी परशुराम से आयु में छोटे है 
ऐसी मान्यता है कि भगवान परशुराम वर्तमान समय में भी अन्य अाठों के जैसे कहीं इसी पृथ्वी पर मौजूद हैं।
दूसरी मान्यता कल्की या दशम अवतार के समय उनके संरक्षक और पथ प्रदर्शक होंगे।
भगवान परशुराम के प्रमुख ख्यातिप्राप्त  शिष्यों में, भीष्म, द्रोणआचार्य एवं कर्ण रहे है 
भगवान परशुराम शस्त्र विद्या के श्रेष्ठ जानकार थे और ब्रम्ह अस्त्र के खोज का श्रेय उन्ही को है जिसे उन्होंने भगवन राम को बताया जो बाद में रामबाण के रूप में प्रसिद्द हुआ फिर कृष्ण को और अन्य शिष्यों जिसमे भीष्म और द्रोणाचार्य थे 
केरल के मार्शल आर्ट कलरीपायट्टु की उत्तरी शैली वदक्कन कलरी के संस्थापक आचार्य एवं आदि गुरु हैं वदक्कन कलरी अस्त्र-शस्त्रों एवं अस्त्र-शस्त्र विहीन युद्धकी प्रमुखता वाली शैली है।
कलरीपायट्टु उनके द्वारा अस्त्र-शस्त्र त्याग करने के उपरांत खोजी व् स्थापित की गयी विधा है
 सबसे प्रमुख यह की भगवन परशुराम के पूर्व ब्राह्मण किसी भी प्रकार से युद्ध में भाग नहीं लेते थे परशुराम के बाद से ही बराह्मणो द्वारा युद्धों में भाग लेने की सक्रीय प्रथा चली. 
वे न्याय के लिए हमेशा युद्ध करते रहे, किसी के प्रति अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया. न्याय के प्रति उनका समर्पण इतना अधिक था कि अन्यायी को खुद ही दण्डित करते थे
सहस्राबाहू से उनका विवाद व्यक्तिगत व घरेलू था न कि जातिय जैसे की लोगों में भ्रम फैलाया जाता है
मान्यता है कि जहां से ब्रह्मपुत्र नदी भारत में प्रवेश करती है, उन्होंने उस जगह पर तपस्या करके भगवान शिव से फरसा प्राप्त किया था बाद में इसी जगह पर युद्ध कर्म से संन्यास लेने पर वह फरसा  विसर्जित भी कर दिया,
दक्षिण व उत्तर भारतीय समुदाय में समान रूप से पूजनिय और आदर्श हैं
भारत के लगभग सभी प्रमुख स्थानों पर परशुराम से संबंधित दर्शनीय स्थल आज भी हैं
Pravin 
प्रस्तुत चित्र महान चित्रकार राजा रवि वर्मा द्वारा