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रविवार, 11 जून 2017

अबतक का सबसे कठिन राष्ट्रपति चुनाव


नाम में क्या रखा है तो नाम ऐसा हो की सब को स्वीकार्य हो इस समय यही खेल चल रहा है 
राष्ट्रपति चुनाव। ............ एनडीए के पास 18000 वोट कम है तब
ओडिसा, तेलंगाना, तमिलनाडु, बिहार बंगाल केरल दिल्ली के विधायकों सांसदों के वोटो का महत्त्व बढ़ जाता है
एनडीए को बंगाल उड़ीसा या तमिलनाडु तेलंगाना के विधायकों सांसदों के वोटो के बिना अपना उम्मीदवार जितना कठिन होगा, यही स्थिति विपक्षी दल कांग्रेस व् सहयोगी की भी है.

तो अब नाम का ही सहारा लेना होगा 

विपक्षी दल कांग्रेस व् सहयोगी ने अभी तक कोई बड़ा नाम राष्ट्रपति के लिए तय नहीं किया न हीं सहमत हुए लग रहे है यदि सहमति बनी भी तो हो सकता है दोबारा प्रणव मुखर्जी या फिर दक्षिण भारत के किसी बड़े नाम, नेता जो की दलित समुदाय से सम्बन्ध रखता हो उसका नाम लाये जैसे की खड़गे या पुंडुचेरी के सीएम वी नारायणसामी भी हो सकते है 

लेकिन उड़ीसा को देश की आजादी के बाद से आजतक कोई बड़ा राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नहीं मिला है तो हो सकता है झारखण्ड की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाये एनडीए द्वारा जोकि ओडिसा से है और पूर्व में भाजपा कोटे से ओडिसा में मंत्री भी रही है।


यह एक तुरुप की चाल है भाजपा अगर ऐसा करती है तो सभी विपक्षी दलों वोट देना मज़बूरी होगा या वो निर्विरोध चुनी भी जा सकती है यदि विपक्ष अपना उम्मीदवार खड़ा करता है तो भाजपा के पास यह कहने का अवसर होगा की सभी विपक्षी दल जनजातीय आदिवासी जन को प्रतिनिधित्व नहीं देना चाहते है ये लोग जनजातीय समुदाय विरोधी है वैसे राष्ट्रपति के नाम के लिए दूसरा बड़ा आदिवासी नाम करिया मुंडा लोकसभ उपाध्यक्ष  का भी है लेकिन समस्या यह है की उपराष्ट्रपति के लिए बिहार से ही हुक्मदेव यादव का नाम भी है इस लिए एक ही क्षेत्र का मामला होने से करिया मुंडा के नाम पे संदेह हो सकता है 



इसके साथ ही एनडीए सहयोगी शिव सेना ने मराठा मराठी का तड़का लगते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत का नाम राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने की बात उछाल दिया है हालाँकि भगवत के तरफ से कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं आयी है लेकिन इससे भाजपा पे संघी सरकार चलाने बनाए जाने का आखिरी ठप्पा लग जायेगा फिर यदि मामला बढ़ा तो भाजपा मराठी वाद से तुस्ट करने के लिए स्पीकर सुमित्रा महाजन का नाम आगे कर सकती है इसके साथ ही बीजेपी और कई नामो पे विचार कर रही है

वैसे दस दिनों बाद राष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाने वाली है और 20 जुलाई तक नया राष्ट्रपति चुन लिया जाना है सो तस्वीर 20 जून के बाद साफ हो जाएगी।