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सोमवार, 23 जनवरी 2017

जलेकट्टू और भैंसा दंगल

सामान्यतः देखा जाए तो जलेकट्टू एक अंतरराष्ट्रीय खेल या उत्सव ही जैसे है जो कि इंडिया से लेकर स्पेन तक फैला हुआ है 
इस खेलीय प्रथा मे उत्सव मे प्रायः पुरुष ही भागीदारी करते हैं और जानवर भी नर प्रजाति का बैल जिसे सांड अंग्रेजी में OX Bull या भैंसा हो तो Buffalo कहते हैं 
यह दुनिया भर कि विभिन्न संस्कृतियों कल्चर में अलग अलग ढंग से आयोजित किया जाता है हर जगह अलग अलग नियम कायदे होते हैं 
यह कई युरोपियन देशों मे भी बहुत लोकप्रिय है इसकेे लोकप्रियता का अनुमान बस इससे लगा सकते हैं कि स्पेन जैसे विकसित शिक्षित देश के राष्ट्रीय खेल के रूप मे मान्यता प्राप्त है और यह किसी सांड खेल स्टेडियम के साथ साथ सरे आम रिहाइसी शहरी इलाकों व खुली सड़कों तक पर आयोजित किया जाता है हालाँकि सड़कों पर आयोजित होने से बहुत से लोग घायल तक हो जाते है या कभी कभार मर भी जाते है लोग, लेकिन यदि सांड ने किसी भी इंसान के पीछवाडे मे अपनी सींग मार दिया हो तो युरोपियन लोग इसे अपना सौभाग्य मानते हैं और वहाँ की सरकारों कानून पशु प्रेमीयों व प्रशासन को भी इस खतरनाक खेल से कोई ऐतराज नहीं।

हालाँकि भारत में यह प्रथा हजारों साल पुरानी है और ऐसा माना जाता है कि दुनिया भर में यह खेल भारत से प्रभावित है भारत में यह हर राज्य व क्षेत्र विशेष में अलग नामों व नियमों से प्रसिद्ध है  कुछ हिस्सों में एक बलवान सांड के सींग मे सिक्का बांध दिया जाता है फिर उसे भड़काया जाता शोर शराबे कर उस नर सांड को  उग्र करते हैं और फिर भडके हुए सांड के सींग से सिक्के लूटने के लिए साहसी पुरुषों की टोली में हर व्यक्ति बारी बारी सांड से सामना करते हैं और सींग में चीपके सिक्के को निकालने का प्रयास करते है
कई स्थानों पर बैलगाडी दौड़ का आयोजन होता है कहीं कही कहीं पर भैंसा लड़ाई या दंगल 
जिसमें कि दंगल कराने वाले राज्यों मे प्रसिद्ध उप्र मप्र बिहार हिमाचल आदि राज्य हैं
उप्र में भैंसा दंगल बहुत लोकप्रिय है यह सावन में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन प्रायः आयोजित होता है और इस के लिए उप्र में सर्वाधिक प्रसिद्ध स्थान इलाहाबाद है 

इलाहाबाद में सबसे बड़ा यह भैंसा दंगल उच्चन्यायालय इलाहाबाद परिसर से कुछ ही दूर संगम क्षेत्र मे आयोजित होता है हजारों लोगों की भीड़ यह आयोजन देखने आती है और लोग दूर गांव गीरावं अपने भैंसा ले कर दंगल कराने ले आते है सब लोग अपने भैंसा को पुरे साल भर लड़ने की ट्रेनिंग देते है खान पान मे हजारों खर्च करते हैं फिर ले आते है जीतने वाले भैंसे को जबरदस्त इनाम भी मिलता है 
हालाँकि इस दंगल आयोजन को बंद कराने के लिए बहुत से लोगों व पशु  प्रेमी संस्थाओं ने अप्रत्क्षय रूप से रूकवाने के बहुत प्रयास किए गये किंतु स्थानीय जनता द्वारा विरोध के डर से संभव नही हो पाया।