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मंगलवार, 29 दिसंबर 2015

Union of India ★ Republic of India ★ India that is भारत

★ Dominion of India ★ Government of India ★ Union of India ★ Republic of India ★ India that is भारत

वर्ष 2015 ख़त्म होरहा है और हम एक नए साल में प्रवेश कर रहे है लेकिन पिछले दिनों भारत में हर दिन बड़ा ही हंगामेदार रह है  भारत कहां जा रहा है और कौन लोग है इसके पिछे, एक योजनाबद्ध ढंग से खतरनाक डरावने माहौल का निर्माण अंदर ही अंदर कैसे हो रहा है? की हम सब आपस मे ही शत्रु बने जा रहे है! भारत की बहु विषम सांस्कृतिक एकता पर भयंकर चोट पहुचने का कार्य बारम्बार किया गया है।   

यह सब  कुछ कथित क्षद्म बौद्धिकों का जो कि शिक्षण संस्थानों से लेकर राजनीति, सामाज, सेवार्थ ट्रस्ट, सूचना प्रसारण के जैसे संस्थानों में होना है जिनका राष्ट्र के  निर्माण, समाज के  उत्थान का कोई विज़न नहीं होता है बल्कि विजन समस्त जनता को लालच, अनर्गल सिद्धांत और नफरत की भावना से भरा देना होना ही होता है जिससे इन  कथित बौद्धिकों की हैसियत व् राजनितिक गलियारों पहचान बनी रहे और नफरत के दम पे रोटियां उनके चूल्हे में जलती रहे, यह कैसी नकारात्मकता है जो अपने ही देश में, अपने जाती समुदाय में शत्रुता के बीज बोये जा रही है।    

वर्तमान भारत की स्थिति दसवीं ग्यारहवीं शदी के जैसे हो गयी लगती है जबकी उस समय छोटे बड़े शासक हुआ करते थे और  आजकल उनका स्थान बहुत सारे छोटे बड़े राजनीतिक दलों, कथित  क्षद्म बुद्धिजीवीयो व् सत्ता पदस्थ या सत्ता से बहार बैठे लोगो ने लिया है जो स्वार्थ वस लाभ या सत्ता के लालच में विदेशी आक्रांताऔं को निमंत्रित करते हैं कि हमारे यहाँ के लोगो को आओ लूटो, इनके कमजोर होने पर हम लोग अपनी जनता को लुटेगें। वैमनष्यता फ़ैलाने के लिए  ये लोग  जातिगत अथवा राज्यों की भिन्नता के आधार पर फूट भी डालते है।



तब क्या किया जाए इस क्षद्म बौद्धिकता का जो भारत को अपना श्मशानिक प्रयोग स्थल बना रखा है ।

तो हमारे समाज के जो योग्य व सही नियत वाले वास्तविक बौद्धिक लोग हैं वे राष्ट्र प्रेमी, जो देश प्रति चिंतित है आज चुप बैठे सिर्फ देख रहे  हैं उन्हें आगे आना होगा समाज के लोगों के मन:स्थिति विचार के बदलाव के लिए, जनता को, देश को बचाने के प्रति जागरूकता के लिए आगे आना ही होगा। यह काम कोई एक व्यक्ति नही कर सकता सभी को साथ आना होगा किसी एक के भरोसे बैठना नितांत मूर्खता होगी। हम सभी  सीधा संवाद करें भले ही यह विमर्श भारत के उन लोगो के  सामने हो जो एक दुशरे को न जानतें हो, बताना होगा की किसी के  बहकावे पर न चले, ना ही किसी की उड़ाई अफवाह पर गौर करे, लोग अच्छी प्रेरणा को जीवन आदर्श बनाये नए साल में खुद को नकारात्म विचारो से दूर रखे, हमे आगे बढ़ना है देश प्रगति पथ पर नविन उचाइयां देना है, 

अनैतिक विचार भटकायेंगे, डराएं गए किन्तु सिर्फ सत्य के साथ रहना है स्वयं पर नियंत्रण रखना है, यदि हम सत्यनिष्ठा व् नेकनियति से खुला संवाद करने की इच्छाशक्ति नहीं दिखायेगे तो नए साल के अंत तक इस महान संस्कृतक धरोहरो से परिपूर्ण देश और देश के लोगों को निश्चित रूप से बदहाल स्थिति में जाने से कोई नहीं रोक सकता है।   

आईये भारत के बदलाव में सब साथ चले,  तभी भारत बदलेगा ।