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शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

इंसान का साहस ही उसकी शक्ति होती है बस

गायक  नरेंद्रचंचल को हममे से अधिकांश भक्ति संगीत के गाने को गाते देखा सुना होगा और वैसे इससे ही वे  प्रसिद्ध भी हुए लेकिन उन्होंने कई फ़िल्मी हिट  गाने भी गए है  
उनके  आरंभिक दिनों के गायकी के एक मशहूर फिल्मी गाने की लाइन है ,-
यारा ओ यारा यारा ओ यारा, 
इश्क़ ने मारा हो गया मैं तो तुझ में तमाम दे रहे सब मुझे,तेरा नाम, मेरा नाम  मैं बेनाम हो गया.
वैसे यह फिल्म दसीयों बार देखा है वो भी टीभी पर
फिल्म का नाम है- बेनाम 
अमिताभ बच्चन के उन दिनों कि फिल्म है जिसमें एक्शन का मशाला चीला फिल्म के पहले मिनट से शुरू हो जाता था दे दनादन हर दूसरी सीन में फाइट एक्शन होता था

परंतु फिल्म बेनाम मे बीना कोई एक कंटाप लगाए किसी को झापड़ रसीद किये  फिल्म कायदे से निकल लेती है हर रील में हर मिनट मे केवल अमिताभ अपने बॉडी चेहरे डॉयलाग एक्सप्रेसन से हिला डालते है कबूतर से कुत्ते तक मर जाते हैं लेकिन अमिताभ के हाथ से कोई चिल्लर सा घूंसा तक नही निकलता पूरी फिल्म मे,

 सिवाय फिल्म के आखिरी दस मिनट के जब तक की प्रेम चौपड़ा की इंट्री न हो जाती है
और खास बात और भयंकर सस्पेंस  यह की चोपड़ा की शक्ल के बजाये शुरू से ही उनकी आवाज ही सुनवाई जाती है सिवाय आखिरी के दस मिनिट को छोड़ दे तो।    

फिल्म एक शरीफ घरेलू संभ्रांत नौकरीपैशा पारिवारिक व्यक्ति के द्वारा किसी मानव सुलभ विचारों के कारन अंजाने इंसान की जान बचाने के चक्कर में खुद के व स्वयं के परिवार को संकट में फंस जाने पर आधारित है और फिर किस तरह वह इस संकट से स्वयं निकलकर दिखाता है दिखाया गया है।

फिल्म एक आम इंसान के डर को दिखाते हुए शुरू होती है की अगर वो किसी अनचाहे अप्रत्यासित विपत्ति में फंस जाता है तब उसके मनो दशा क्या होती है पल पल डर के साये में जीने लगता है  और फाइनली व्यक्ति अपने संयम को बरकरार रखते हुए डर को निकाल फैंकता है

अपने परिवार की रक्षा के लिए वो उन लोगो से भिड़ने को तैयार हो जाता है  सच का सामना करते हुए साहस से काम लेता है और यह साहस ही उसे सारे संकटो से मुक्ति दिलाता है।
इंसान का साहस ही उसकी शक्ति होती है बस

भगवान का अवतार धरती पर हो चुका है

हमेशा की तरह हर युग के जैसे
भक्त भगवान की लीला देखने के लिए धरती पर पहले ही आ जाते है लेकिन जानकारी सबसे पहले भगवान के शत्रुओं को हो जाती है कि भगवान का अवतार धरती पर हो चुका है सो हमेशा ही की तरह उन्हें मारने के लिए खत्म करने हेतु (वर्तमान मे फंसाने के लिए) अनेक प्रकार षड्यंत्र शत्रुओं द्वारा रचे जाते हैं। 
हालाँकि भगवान अपने शत्रुओं द्वारा कभी नही मरते।
ये सारे भक्त गण जो कि यक्ष गंधर्व इंद्र सभा के देव तथा अन्य कई विभूतियों के अंश के रूप मे धरती पर भगवान की आज्ञा से उनकी लीलाओं का आनंद लेने के लिए जन्म लेते हैं और भगवान के लीलाओं के लिए अपने अपने अपने भाग का निर्वहन करते हुए उनके लिए ग्राउंड तैयार करते है
किंतु उन्हें यह मालूम नही होता कि भगवान कौन है और इंतजार करते है भगवान कब आयेंगे।
तब भगवान के शत्रु ही चिल्लपों मचा के जग जाहिर कर देते है कि भगवान का अवतार हो चुका है और भगवान कीर्ति अंजाने मे ही सारे संसार में फैला डालते है।
वरना भक्तों को तो कभी मालूम ही नहीं होता कौन भगवान है।

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वैसे पहले भगवान गोल घूमने वाले कठोर धातु के बने चक्र से या बांणों से मारकर स्वयं ही दंड दिया करते थे
लेकिन लगता है कलयुग में उनके हथियार बदल गये है और आजकल शायद गोल घुमावदार नरम रेशे से बने फंदे से गला कस के दंड (फांसी) या फिर बंदूक की गोली से मरवा के (एनकाउंटर) दंड दिलवाते देते होंगे।
कृपया इस आलेख का वर्तमान में किसी भी व्यक्ति से जबरन कोई तरह का सम्बन्ध न लगायें।
भले ही कोई वर्तमान में  किसी को अवतार मानता हो।
कृपया बुरा भी न माने

सनातन हिन्दू नव वर्ष का आरम्भ है सो थोड़ा खुशिया मनाते है
 है न!!!!!!!!
इस लिए!!!!!!!!