ब्लॉग आर्काइव

मंगलवार, 5 जनवरी 2016

भारतीय संसद में प्रस्ताव युद्ध घोषित

एक कहावत--देखा देखी पाप देखा देखी धरम
मतलब फ्रांस पर आतंकवादी हमले के बाद फ्रांस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आईसिस के खिलाफ ताबड तोड हमला बोल दिया।
लेकिन आजकल फ्रांसीसी हमले बातें न के बराबर सुनने को मिलती होंगी। क्यों की फ्रांस जैसे विकसित देश की आज की हैसीयत अकेले लम्बी लड़ाई करने की नहीं है
एक और लेकिन
उस हमले के बाद फ्रांस की अब तक की सबसे सेक्युलर सरकार ने बिना देरी किये देश के मुखबिरों गद्दारों को पकडना शुरू किया उनके सेंटर्स व नेटवर्क पर धावा बोला, तोड़ फोड़ मचाया, नष्ट किया, सैकड़ो को जेल में बंद किया, कानून बदलने को भी तत्तपर है।


खैर हमारे देश के लोगों के आदर्श सदैव से विदेशी लोग ही रहे हैं सही भी है मान लेते है घर की मुर्गी को क्या घास डालना।
तो भारत व भारत सरकार को तत्काल मुँह तोड़ कार्रवाई करनी चाहिए एनी वे एनी कॉस्ट वैसै मेरे देखने से भारत में सब कुछ फ्रांस जैसे ही हो रहा है लेकिन थोड़ा सा ही उल्टा - माने पहले गद्दारों को पकडो,
सुना ही होगा यहाँ वहाँ फलाँ जगहों पर गोपनीय सूचनाएँ पाकिस्तान को भेजने देने या गुप्तचरी के आरोप मे अला ब्ला फंला गिरफ्तार और अब तक सभी सरकारी विभाग मय सेना समेत लगभग दो दर्जन लोग पकड़े जा चुके हैं।
जैसे नया शक के घेरे में - गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह जिनका गुरुवार 31 कि रात चार आतंकवादियों ने गाड़ी सहित अपहरण कर लिया था और बाद में उन्‍हें और उनके कुक मदन लाला व दोस्त राजेश कुमार को जिंदा छोड़ दिया था क्यों भाई किसी ने सोचा जब गुरुदासपुर काण्ड में तो आतंकवादी भरी बस का पीछा करते हुए गोलियाँ चलाते रहे खैर उनकी छूटने की जो भी कहानियाँ कही होगी रहने देते हैं वैसे उनका तबादला तीन दिन पहले पीएपी कर दिया गया था पर वह पठानकोट इलाके में क्या कर रहे थे. साथ ही उन्होने ड्यूटी ज्वाइन क्यों नही करी, पूजा करने का बहाना लेकिन पंजाब पुलिस का एसपी हेडक्वार्टर आतंकियों के चुंगल से बचने के बाद ये सूचना सही वक्त पर न दे पाया कि उसका अपहरण आतंकवादियों ने ही किया था, एसपी का अपहरण 31 दिसंबर, 2015 की रात को हुआ और तो और एसपी साहब की निजी गाड़ी भी एयरफोर्स स्टेशन के पीछे वाले इलाके में मिली उसपर से ट््वीस्ट की एसपी साहब ने ही पुलिस के पास यह रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि उन्हें बंधक बना कर आतंकवादी एयरफोर्स बेस तक पहुंचे हैं खैर सब जांच का विषय है वैसेवऐसी घटना किसी के साथ हो सकती है।
फिर असली मार्के की बात विकसित देश फ्रांस से भारत हथियार खरीदता है फ्रांस भी लंबी लड़ाई नही झेल सकता है जबकि वह सब तरह के हथियारों का निर्माता है वहां भी लगभग बीस प्रतिशत शरीफ टाइप के लोग रहते हैं।
इधर भारत पर हमला हो रहा है उधर मालदा में शरीफ टाइप के ढाई लाख लोग इकट्ठा हो थाने को फुंक देते हैं भारत को शरियायी मुल्क बनाने के चक्कर में, उन्हें देश से कोई मतलब नहीं है देश पर हमला हो या देश पाताल मे समा जाए
इधर इजराइल या फ़्रांस की देखा देखि  हमारे देश लोग युद्ध के लिए चने की झाड पर चढ़ाये जा रहे है भारत सरकार को, वर्तमान नेतृत्व को। भिया उधर कौनो पग्गल नै बैठा है वो जानता है देश के कुछ लोगों की बुडबकैती से होने वाले नुकसान से बाकी लोगों को कैसे बचाना है या फिर इस देश की शांतिपूर्ण रहने वाली बहुसंख्यक जनता के उन्माद को क्रूर हिंसक हिंदुत्व में बदल देने तक इन्तेजार कर रहा हो। 
तो भाई लोग भारतीय सेना व भारत बहुत सक्षम है बहुत ही भयावह व भयंकर हथियार रक्षा उपकरण माने लगभग स्टार वार की हैसियत के करीब के है भारत के पास। आज भी सेना महीनों कई तरफा (नभ, जल, थल, अंतरिक्ष, सायबर, तकनिकी) आक्रमण करके या झेलके भयंकर विनाश तबाही करने का माद्दा रखती है साथ में भारत की बहुसंख्यक जनता भी।



लेकिन उसके लिए या मालदा जैसे अंदरूनी काण्ड जो कि और भी वीभत्स ढंग से होने की संभावना है मतलब वे लोगों के लिए जिन्हें देश से कोई मतलब नहीं है उसे रोकने के लिए चीन के थ्येन अमन चौक काण्ड जैसे स्तर पर सरकार को उतरना होगा, पूर्ण आपातकाल हॉ पूर्ण आपातकाल लगाने होंगे मोदी और डोभवाल को तानाशाह बनना होगा। नहीं तो कानून व्यवस्था के नाम पर बंगाल सरकार बर्खास्त कर देंख लें, करोड़ों कार्यकर्ता जनता बवाल काटने सड़कों पे न आ गयी तो कहना।
गर ऐसा है तो देश की सारी आबादी नेता, जनप्रतिनिधि राजनीतिक दल, बुद्धिजीवी परजीवी और न जाने कौन कौन लोग जो युद्ध चाहते हैं तो संसद के भीतर बाहर या जंतर मंतर पे धरना दे जनप्रतिनिधियो पे दबाव डाले और संसद में प्रस्ताव होने दे = युद्ध घोषित करें--घोषित युद्ध हो--हमें दुनिया से डर नहीं।



लेकिन ये संभावना ना बराबर है
तो रहने देते है ऩो मोर ख्याली पुलाव।
चाँद मेरी कैद में है टाइप का मुगलाता
जय हिन्द जय भारत