विकल्प और शेहला की बात
आजकल विकल्प की बात हो रही है जिसमें देश के नेतृत्व के विकल्प की बात हो रही है कि देश का नेतृत्व किसके हाथों में सौंपा जाए जो इस वर्तमान नेतृत्व से भी अच्छा और प्रशासनिक रूप से कर्मठ हो
......तो विकल्प हमेशा रहता है
विकल्प या तो तात्कालिक नेतृत्व से अत्यधिक योग्य एवं प्रभावी होता है अथवा अयोग्य होता है
वर्तमान भारतीय लोकतांत्रिक राज व्यवस्था में विकल्पहीनता का जोर शोर से प्रचार किया जा रहा है जब हमारे पास विकल्प नहीं रह गया इस कारण चलो नोटा को वोट देते हैं..................
............किंतु जहां तक मैं देखता हूं कि वर्तमान मोदी जी के नेतृत्व के विकल्प के तौर पर एक बहुत ही बड़ा और कर्मठ नाम आता है वह है सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी
...............वह अकेले इतना सक्षम है जिसमें कि मोदी जी का अमित शाह को और पीयूष गोयल को और जेटली की कमी एक साथ पूरी करते हैं
.................वह पूर्व में भाजपा अध्यक्ष रह चुके हैं जबकि मोदी जी संगठन मे इतने पडे पद पे कभी नही रहे..................और संगठन में उनकी अच्छी खासी पकड़ व लोकप्रियता है जिसमें से मुख्य रूप से महाराष्ट्र एवं समस्त हिंदी भाषी राज्य मे जबरदस्त पैठ है
हालांकि मोदी जी भी हिंदी भाषी राज्यों में मसलन मध्य प्रदेश हिमाचल हरीयाना वगैरह में काफी कार्य किए हुए हैं
..............किंतु उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए उनको जो अमित शाह की नियुक्ति करनी पड़ती है जबकि गडकरी अमित शाह जैसे ही इन राज्यों में सक्षम है और कार्यकर्ता मोदी जी जैसे उनका विरोध भी नही करने का साहस करते।
...........लुटियंस मीडिया जिसकी कार्यकलापों को नियंत्रित करने के लिए मोदी जी को जेटली जी का सहारा लेना पड़ता है .............वहीं गडकरी अपने अध्यक्ष रहने के दौरान इन सबको साध रखे थे और कमोबेश आज भी उनका प्रभाव इन मीडिया पर है
मंत्रालय प्रबंधन एवं समय से कार्य पूर्ण करने के मामले में यह कहीं भी पीयूष गोयल से भी दो कदम आगे साबित होते हैं
.............व्यक्तिगत धन-संपदा में भी यह सर्वाधिक धनिक मंत्रियों में से है इनको अपनी व्यक्तिगत छवि निर्माण के लिए पार्टी अथवा किसी अन्य पीआर एजेंसी की आवश्यकता नहीं पड़ती है
.........अंतरराष्ट्रीय मामलों में भी यह बेहद ही कठोर अनुशासित एवं कूटनीतिज्ञ है आप लोगों को याद होगा जब चुनाव की मतगणना 2014 के समय में जब पाकिस्तान के विदेश सचिव विदेश मंत्री से इनका वार्तालाप एक टीवी डिबेट के माध्यम से हो रहा था............................ तब उन्होंने ही कहा था कि अब भाजपा की सरकार है मनमोहन सिंह की सरकार नहीं है आपको उचित जवाब दिया जाएगा यदि शांति से चाहेगे तो शांति के वातावरण का वार्तालाप होगा।
.......दिए गये कार्यो को समय पुर्व खत्म भी कर देते है
...........शायद पुर्ती ग्रुप कांड मे नाम न आता तो संभवतह वह भाजपा उन्ही के अध्यक्षता मे चुनाव लडा होता और मोदी जी से पहले वही पीएम होते।
शेहला ने विकल्प बता दिया है एक और कडक प्रसासनिक व्यक्ति है पार्टी में जो पीएम पद के लायक है
आजकल विकल्प की बात हो रही है जिसमें देश के नेतृत्व के विकल्प की बात हो रही है कि देश का नेतृत्व किसके हाथों में सौंपा जाए जो इस वर्तमान नेतृत्व से भी अच्छा और प्रशासनिक रूप से कर्मठ हो
......तो विकल्प हमेशा रहता है
विकल्प या तो तात्कालिक नेतृत्व से अत्यधिक योग्य एवं प्रभावी होता है अथवा अयोग्य होता है
वर्तमान भारतीय लोकतांत्रिक राज व्यवस्था में विकल्पहीनता का जोर शोर से प्रचार किया जा रहा है जब हमारे पास विकल्प नहीं रह गया इस कारण चलो नोटा को वोट देते हैं..................
............किंतु जहां तक मैं देखता हूं कि वर्तमान मोदी जी के नेतृत्व के विकल्प के तौर पर एक बहुत ही बड़ा और कर्मठ नाम आता है वह है सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी
...............वह अकेले इतना सक्षम है जिसमें कि मोदी जी का अमित शाह को और पीयूष गोयल को और जेटली की कमी एक साथ पूरी करते हैं
.................वह पूर्व में भाजपा अध्यक्ष रह चुके हैं जबकि मोदी जी संगठन मे इतने पडे पद पे कभी नही रहे..................और संगठन में उनकी अच्छी खासी पकड़ व लोकप्रियता है जिसमें से मुख्य रूप से महाराष्ट्र एवं समस्त हिंदी भाषी राज्य मे जबरदस्त पैठ है
हालांकि मोदी जी भी हिंदी भाषी राज्यों में मसलन मध्य प्रदेश हिमाचल हरीयाना वगैरह में काफी कार्य किए हुए हैं
..............किंतु उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए उनको जो अमित शाह की नियुक्ति करनी पड़ती है जबकि गडकरी अमित शाह जैसे ही इन राज्यों में सक्षम है और कार्यकर्ता मोदी जी जैसे उनका विरोध भी नही करने का साहस करते।
...........लुटियंस मीडिया जिसकी कार्यकलापों को नियंत्रित करने के लिए मोदी जी को जेटली जी का सहारा लेना पड़ता है .............वहीं गडकरी अपने अध्यक्ष रहने के दौरान इन सबको साध रखे थे और कमोबेश आज भी उनका प्रभाव इन मीडिया पर है
मंत्रालय प्रबंधन एवं समय से कार्य पूर्ण करने के मामले में यह कहीं भी पीयूष गोयल से भी दो कदम आगे साबित होते हैं
.............व्यक्तिगत धन-संपदा में भी यह सर्वाधिक धनिक मंत्रियों में से है इनको अपनी व्यक्तिगत छवि निर्माण के लिए पार्टी अथवा किसी अन्य पीआर एजेंसी की आवश्यकता नहीं पड़ती है
.........अंतरराष्ट्रीय मामलों में भी यह बेहद ही कठोर अनुशासित एवं कूटनीतिज्ञ है आप लोगों को याद होगा जब चुनाव की मतगणना 2014 के समय में जब पाकिस्तान के विदेश सचिव विदेश मंत्री से इनका वार्तालाप एक टीवी डिबेट के माध्यम से हो रहा था............................ तब उन्होंने ही कहा था कि अब भाजपा की सरकार है मनमोहन सिंह की सरकार नहीं है आपको उचित जवाब दिया जाएगा यदि शांति से चाहेगे तो शांति के वातावरण का वार्तालाप होगा।
.......दिए गये कार्यो को समय पुर्व खत्म भी कर देते है
...........शायद पुर्ती ग्रुप कांड मे नाम न आता तो संभवतह वह भाजपा उन्ही के अध्यक्षता मे चुनाव लडा होता और मोदी जी से पहले वही पीएम होते।
शेहला ने विकल्प बता दिया है एक और कडक प्रसासनिक व्यक्ति है पार्टी में जो पीएम पद के लायक है
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