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बुधवार, 22 अप्रैल 2020

The last Mughal and its deth


बादशाह जफर को हिंदू मुसलमान सिख सभी बराबरी से चाहते थे क्योंकि उसने अकबर के बाद गौ हत्या पर पाबंदी लगाई थी, 57 के आजादी की लड़ाई में जफर के मना करने के बाद भी उसके सेनापति ने गजवा ए हिंद का नारा देते हुए हिंदू सिख के खिलाफ भी काफिराना फतवा देते हुए सब को मारने का आदेश दे दिया था
उसके बाद मेजर जनरल हडसन ने आखिरकार दिल्ली पर कब्जा कर लिया और हुमायूं के मकबरे से जफर को गिरफ्तार कर लिया,जफर की सारी संपत्ति हड़प ली गई 1 जोड़ी जूते, छड़ी और 2 जोड़ी कपड़े के साथ कुछ पेंशन और बंगाल के 24 परगना में बने सेंटफोर्ट के बगल के एक जेल में कैद कर रखा गया जो तब चमड़े के व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र हुआ करता था
ब्रिटेन में महारानी से आदेश पाकर के एक ब्रिटिश ऑफिसर बादशाह जफर से मिलने आया, जफर की आदत थी जब अगर उनसे कोई मिलने आता था तो कुछ ना कुछ जरूर दिया करते थे
मुलाकात के दौरान अफसर से जफर ने कहा कि मेरे पास आपके स्वागत के लिए कुछ नहीं केवल एक गिलास पानी और सोने के अर्क लगा हुआ पान है,
आप ब्रिटेन की महारानी के प्रतिनिधि के तौर पर हिंदुस्तान के बादशाह से मिलने आये हैं तो मैं अपने सोने व मोतीयों से कढ़ाई की जूतियां को उपहार में देता हूं, अंग्रेज अफसर ने कहा कि आपकी कोई आखरी तमन्ना हो तो उसको कहें पूरी की जाएगी ऐसा महारानी का आदेश है,
बादशाह जफर ने कहा कि मेरी कोई आद औलाद उत्तराधिकारी बचा नहीं है सबको तो आप लोगों ने मार डाला है तो मैं मौत को गले लगा सकूं ऐसा कोई इंतजाम हो तो बताइए ये मेरी आखरी तमन्ना है
अंग्रेज अफसर ने कहा कि यह नहीं हो सकता है आपको किसी भी तरीके से हम मार नहीं सकते हैं बर्तानीया हुकूमत की महारानी का आदेश है
तब बादशाह जफर ने कहा कि आप लोगोंको इल्जाम नहीं लगने दूंगा अगर आप मुझे 24 परगना को घुमा देंगे तो मैं यहां से उठने वाली बदबू से ही मर जाऊंगा और उसके ईनाम के तौर पर मैं अपनी हीरे जड़ीत छड़ी ब्रिटेन की महारानी को उपहार में दूंगा, क्योकि हिंदुस्तान के बादशाह रहने के दौरान मैंने इतना बदबूदार शहर नहीं देखा।
अंग्रेज अफसर शहर घुमाने को सहमत हो गए लेकिन यह तय किया गया कि अगर जफर की मौत हो गयी तो उनको हिंदुस्तान के बजाय बर्मा में दफन किया जाएगा जिस पर बादशाह जफर ने भी हामी भरी और नज्म लिखा
कितना है बदनसीब जफर दफ्न के लिए, दो गज जमीन भी न मिली कू-ए-यार में
24परगना शहर दिनभर घूमने के बाद उसी रात को जफर की मौत हो गई और उनको ले जाकर के बर्मा में दफन कर दिया गया

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